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18शार्ट स्टोरी लघुकथा =side effect of early marriage ( जेनर = स्त्री विशेष ))

लघुकथा 

जेनर  = स्त्री विशेष


Title = side effect of early marriage




जिंदगी के आज इस आख़री पढ़ाव में शालिनी अपनी नादानी में की गयी गलतियों पर बहुत पेशेमान ( पछताना ) थी । सिर्फ वो ही नही उसके साथ साथ उसका जीवन साथी सुमेल जिसे उसने शादी के बाद पति से ज्यादा नौकर समझा । आज वो सुमेल भी उसी के साथ घर के बरामदे में पड़ी कुर्सी पर पास बैठा था । उसने भी शादी के चंद महीनों बाद शालिनी को अपना गुलाम समझना शुरू कर दिया था वो भी उसकी नादानियों से तंग आ गया था उसके आये दिन बिन बताये मायके चले जाने की वजह से शायद वो सिर्फ 19 साल की थी ये भी एक वजह हो सकती थी की वो उसे बिन बताये अपने मायके चली जाती थी वो अभी भी खुद को शायद एक कुंवारी लड़की समझती थी जो कही भी आ जा सकती थी बिना किसी की इज़ाज़त लिए बिना।

सुमेल कुछ सोच ही रहा था कि तभी शालिनी बोली " हम दोनों ने बहुत बड़ी गलती की थी जिसकी भर पायी आज हम दोनों इस तरह अपने बच्चे के हाथो कर रहे है । कि उसके माँ बाप होते हुए भी आज वो हमें अपने माता पिता नही समझता "


"सही कहा शालू ( सुमेल, शालिनी को प्यार से शालू कहता है )तुमने, हमारी ही नादानियों की सजा आज हमें ज़ीवन के इस आख़री मोड़ पर मिल रही है , काश की हम गुज़रा वक़्त वापस ला सकते और सब कुछ सही कर सकते । और हम दोनों भी एक दूसरे को पति पत्नि समझते और अपने बच्चों को माँ बाप का प्यार देते तो आज वो भी हमें अपना माता पिता समझता  । बस एक गलत फैसले ने हमारी ज़िन्दगीया तबह कर दी। सिर्फ और सिर्फ हमारी नादानी की वजह से आज हमारे बच्चे की ज़िन्दगी भी तबह हो गयी वो भी बुरी संगत में हमारी वजह से पड़ा । "सुमेल ने रोते हुए कहा


शालिनी उसके आंसू पोछते हुए बोली " आप मत रोइये ये सब मेरी वजह से हुआ मेरी नादानियों और दूसरों के बहकावे में आकर मेने अपना घर ख़राब किया। क्यूंकि मैं नादान थी उस समय जिसने जैसा कहा करती गयी और दूसरों की बातो में आकर ना तो मैं एक अच्छी पत्नि बन सकी और ना ही एक अच्छी माँ ये सब मेरी बेवक़ूफ़यों का नतीजा है जो हम लोग इस तरह तन्हा अपना बुढ़ापा काट रहे है "


"सिर्फ तुम ही नही मेने भी दूसरों की बातो पर कान धरे क्यूंकि मैं भी उस समय इतना परिपक्व नही था की सही गलत समझ सकूँ " सुमेल ने कहा

"लेकिन अब किया हो सकता है , अब तो चिड़िया सारा खेत चुग गयी अब तो सिर्फ पछतावा ही बचा है " शालिनी ने कहा

"हमारी जिंदगी में तो कुछ नही हो सकता लेकिन मैं चाहता हूँ कि अपनी जिंदगी की दास्तां किसी कॉपी में लिखू और लोग उसे पढ़े और वो गलती ना करे जो हम दोनों ने की कम उम्र में शादी करके " सुमेल ने कहा

"ठीक कह रहे है आप , मैं अभी अंदर से कॉपी पेन लाती हूँ मैं भी बताना चाहती हूँ उन नौजवान लड़कियों को जो चार दिन की मोहब्बत में पढ़ कर कम उमरी में शादी जैसे पवित्र बंधन में बंद जाती है पर उसे निभा नही पाती और अपने साथ साथ बहुत सारे लोगो की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर बैठती है अपने लड़कपन में " शालिनी ने कहा और अंदर चली गयी कॉपी और पेन लाने


थोड़ी देर बाद वो कॉपी और पेन लाती और सुमेल के हाथ में देते हुए बोली " ये लीजिये कॉपी और पेन "

सुमेल ने उसकी तरफ प्यार से देखा और कहा " काश की तुम इतनी प्यार और इज़्ज़त के साथ मुझे हमारी जवानी में पुकारती तो आज हम दोनों सुखी होते "

"और अगर आप भी शादी के बाद मुझे अपनी नौकरानी नही इज़्ज़त समझते तो भी शायद आज हमारी जिंदगी कुछ और होती " शालिनी ने सुमेल की बात पूरी होने से पहले कहा

"चलो अच्छा जो हुआ सो हुआ आओ बैठो मेरे पास देर से ही सही लेकिन हमें अक्ल आ तो गयी भले ही हमारा सब कुछ पीछे छूट गया । चलो अब लिखते है , लेकिन कहा से शुरू करू " सुमेल ने कहा

"कहा से शुरू करेंगे , वही से कीजिये जब आपने मुझे पहली बार कॉलेज में देखा था पहली दफा और आप मुझ पर मोहित हो गए थे बिना ये जाने की ये मोहब्बत नही बल्कि आपके अंदर होने वाले होर्मोंन्स के बदलाव के कारण किसी लड़की के प्रति आपका झुकाव है " शालिनी ने कहा


"और आपका अपने बारे में किया ख्याल है शालू मैडम , आप भी तो मुझे पसंद करने लगी थी कुछ दिन बाद और मेरे साथ जीने मरने की कस्मे तक खाने लगी थी " सुमेल ने कहा

"हाँ, तो वो मेरे अंदर होने वाले परिवर्तन का परिणाम था मैं भी उस समय जवान हो रही थी मेरे अंदर भी होर्मोंन्स परिवर्तित हो रहे थे और मेरा झुकाव भी आपकी तरफ हो चला था मात्र 19 साल की उम्र में, मेने आपके साथ जीने मरने के वायदे कर लिए थे और आप उस समय मात्र 20 साल के थे।

जिसने अभी तक जिंदगी का दूसरा रुख तो देखा ही नही था जिसमे हर लड़का और लड़की परिपकवता की और कदम रखते है , किताबों से नही जिंदगी के हालातो से सीखते है खुद को अच्छा और बुरे में पहचान करने के काबिल बनाते है ।" शालिनी ने कहा


"चलो लिखना शुरू करते है वहा से जब हम दोनों का खींचाव एक दूसरे की और हो चला था और हम बिना जिंदगी के बारे में जाने एक दूसरे के साथ जीने मरने की कस्मे खा रहे थे बिना ये जाने की ये सब कस्मे खाना तो आसान है लेकिन इन्हे निभाना उतना ही कठिन । और शादी जैसे पवित्र बंधन तक अपने रिश्ते को ले आये बिना ये जाने की शादी कोइ गुड़िया गुड्डो का खेल नही है ।

शादी के बाद पति पत्नि को फूँक फूँक कर कदम रखना होता है क्यूंकि शादी के बाद घर , घर नही तितली का पर हो जाता है जो जरा सा हाथ लगाने पर टूट सकता है ।"सुमेल ने कहा


हाँ तो शालू तुम उन्नीस साल की थी और मैं बीस साल का जब हमें एक दूसरे से मोहब्बत हो चली थी । आओ उस दिन से शुरू करते है जब मेने अपने पिता जी से बगावत की थी तुमसे शादी करने के लिए।


"पिता जी आप समझने की कोशिश कीजिये मुझे शालू पसंद है और मैं उससे शादी करना चाहता हूँ " सुमेल ने अपने पिता से कहा

"बेटा अभी तुम सिर्फ बीस साल के हो माना की तुम बालिग़ हो लेकिन शादी एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है , अभी तुम पढ़ाई करो बाद में शादी कर लेना " सुमेल के पिता ने समझाते हुए कहा

लेकिन सुमेल नही माना, और आखिर में उसके माता पिता को उसकी ज़िद्द मानना पड़ी ।और वो लोग शालिनी का हाथ मांगने चले गए  


शालिनी की माँ ने उसे समझाया बेटा अभी तुम छोटी हो, तुम्हारी कच्ची उम्र है अभी तुम्हे बहुत कुछ सीखना है , तुम कहो तो मैं मना कर देती हूँ।


शालिनी ने अपनी माँ से मना कर दिया और दोनों की शादी हो गयी ।


लेकिन जैसे सुमेल ने अपनी माँ को अपने पिता की आज्ञा कारी पत्नि बनते देखा था उसी तरह वो भी चाहता था की शालिनी भी वही करे ।


लेकिन शालिनी घर की एकलौती बेटी थी उसने कभी कोइ काम नही किया था वो चाहती थी की सुमेल उसकी हर बात माने।

इसी तरह शादी के कुछ दिन बाद दोनों में लड़ाई झगडे होने लगे । शालिनी बिना उसकी इज़ाज़त लिए अपने लड़कपन में अपनी माँ के घर चली जाती थी ।


वहा उसकी चाचीया और उनकी बेटियां उसके कान भर्ती और वो वैसा ही अपने ससुराल में आकर करती क्यूंकि उसे इतनी समझ नही थी की उसकी चाची और उनकी बेटियां उसका घर ख़राब कर रही है ।


सुमेल भी उदास रहने लगा था, उसके दोस्त भी उसके कान भरते और कहते तेरी बीवी तेरे कण्ट्रोल में नही है पत्नि तो पैर की जूती होती है और तूने उसे सर पर चढ़ा रखा है । यही सब बाते सुन कर वो शालिनी को उसकी गुलामी करने को कहता और तू तड़ाक से बोलता।


भले ही वो दोनों बालिग़ थे लेकिन उनकी समझ अभी छोटी थी । बात बात पर लड़ना , खिसयाना रूठना यही सब तो होता है 20,21 की उम्र में।


लड़के ज्यादा तर खिसयानी बिल्ली बने रहते है इस उम्र में क्यूंकि पढ़ाई पूरी हो चुकी होती है लेकिन नौकरी नही मिलती इस वजह से।

यही वजह सुमेल के साथ भी हुयी उसने भी जब पढ़ाई पूरी कर ली लेकिन नौकरी नही मिली। जिसकी वजह से वो उदास रहता था । एक पत्नि का फर्ज़ मुश्किल घड़ी में अपने पति के साथ खड़े रहना होता है लेकिन शालिनी जो की अपनी नादानी और लड़कपन की वजह से उसे मुश्किल घड़ी में छोड़ मायके भाग जाती थी उससे लड़ झगड़ कर ।


लड़ाई झगड़ा तो उन दोनों का आम हो चुका था । प्यार तो ख़त्म ही हो चुका था उन दोनों के बीच दरअसल उन दोनों को कभी प्यार था ही नही वो तो सिर्फ एक खींचाव था जो उन्हें एक दूसरे के प्रति था और जिसकी वजह से वो आज ऐसे रिश्ते में बंध गए थे जिसमे बंधने के लिए दोनों का परिपक्व होना जरूरी था ।


कुछ दिनों बाद सुमेल की नौकरी लग गयी शहर में और वो शालिनी को लेकर शहर आ गया ।

शहर का माहौल उन दोनों के लिए किसी ज़हर जैसा था जिसने उन दोनों के रिश्ते में और ज़हर घोल दिया। सुमेल काम पर चला जाता और शालिनी पड़ोस में चली जाती जहाँ शहर के माहौल में पड़ी बली औरते रहती थी ।


जिन्होंने उसके विकसित होते दिमाग़ में ना जाने किया किया ज़हर घोला उसके पति के खिलाफ और वही सुमेल के दोस्तों ने भी उसके कान भरे शालिनी के खिलाफ " की तू उसे बाहर से ताला लगा कर आया कर तेरी पत्नि अभी छोटी है और शहर का माहौल अच्छा नही है खास कर अकेली रहने वाली लड़की के लिए तेरा तो कोइ बच्चा भी नही है बेवजह कही तेरी पत्नि किसी और के साथ भाग गयी तो तेरी कितनी बदनामी होगी "

ये बात सुमेल के दिमाग़ में घर कर गयी क्यूंकि उसे अभी अच्छे बुरे का पता नही था की कौन दोस्त है और कौन दुश्मन । उसने ऐसा ही किया जब शालिनी ने मना किया तो सुमेल के अंदर शक का बीज पनपने लगा ।

और उसने शालिनी को मारा और घर में बंद कर दिया।


कुछ दिन बाद शालिनी माँ बनने वाली थी उसने ये खबर अपनी उन शहरी दोस्तों को बताई तब उन्होंने कहा " पागल है , किया इतनी छोटी उम्र में भी कोइ माँ बनता है बेवजह की सर दर्दी मोल लेगी तेरा पति तो बाहर किसी और के साथ रंगरांलिया मनाएगा और तेरे पास बच्चा सौप जाएगा कि तू उसे संभालती रहे दिन भर "


शालिनी को उनकी बात सही लगी उसने बिन बताये ही अपनी सहेलियों के साथ जाकर नादानी में अपना बच्चा गिरवा दिया। जब किसी तरह ये बात सुमेल को पता चली तब उसने उसे घर से निकाल दिया पीट कर ।


उसके बाद काफी दिनों बाद उनका सुलाह हुआ लेकिन सुमेल ने गांव में ही रहने का फैसला किया और वही खेती बाड़ी करने का।

लेकिन शालिनी ने शर्त रखी की वो ससुराल में नही रहेगी उसे अलग घर चाहिए । मजबूरन उसे दूसरा घर दिया सुमेल ने। कुछ दिन बाद वो दोबारा माँ बनी और उसने एक बेटे को जन्म दिया।


वो अक्सर उसे छोड़ कर मायके भाग जाया करती थी और कभी कभी तो सुमेल का सारा गुस्सा उस मासूम पर उतार देती। घर का कोइ भी काम नही करती कपडे भी जब ज्यादा गंदे हो जाते तो उन्हें जला देती लेकिन धोती नही थी ।


और रो धोकर सुमेल से नए कपडे मंगा लेती। इसी तरह उनकी गाड़ी चलती रही एक आद बार और उसने अपना एबॉर्शन करा लिया ताकि बच्चों की झंझट से बची रहे । और उसने एक ही बच्चे को पाला वो भी उसके साथ सोतेलो जैसा व्यवहार करके ।


क्यूंकि उसके आ जाने के बाद से ही उसके पेरो में बेड़िया पड़ गयी थी और अब वो कही आ जा भी नही सकती थी ।


सुमेल जब भी काम पर से आता शालिनी अपने बेटे की शिकायत उससे करती , सुमेल भी सारा गुस्सा अपने बेटे पर ही उतार देता और फिर लड़ झगड़ कर सो जाता।


इसी तरह दिन गुज़रते गए उनका बेटा रोज़ उन दोनों को लड़ता झगड़ता बड़ा होता देखता रहा उसे कभी भी माँ बाप का प्यार नही मिला सिर्फ मिली तो मार, माँ पिता का गुस्सा उस पर निकाल देती और पिता बाहर का गुस्सा और खिसयान उस पर उतार देते।


और फिर एक दिन जब वो बड़ा हो गया लेकिन उसके माँ बाप ऐसे ही लड़ते रहे जैसा की बचपन में लड़ते थे । पहले तो उसके दादा दादी ज़िंदा थे तो वो उनके पास चला जाता था लेकिन जब से वो मरे उसने नशे को अपना दोस्त बना लिया।और एक दिन अपने माँ बाप को छोड़ कर कही दूर चला गया । और कभी पीछे मुड़कर नही देखा।


उन दोनों की नादानी में लिए फैसले ने ना जाने कितनी जिंदगीया तबह करदी ।


सुमेल की आँखों में आंसू थे जब उसने ये सब लिखा । शालिनी ने उसके आंसू साफ किए और बोली " हम दोनों ही कसूरवार है इन सब चीज़ो के अगर थोड़ा सब्र किया होता जिंदगी के हालातो को देखा होता कच्ची उम्र में इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी नही उठायी होती तो आज हम सब इस तरह ना होते। "


चलो अच्छा अब अंदर चलो ठण्ड होने लगी है बाहर अब सिवाय पछताने के किया हो सकता है जो होना था हो गया लेकिन मैं यही कहूँगा की शादी जैसे पवित्र बंधन में जब तक ना बंधे जब तक आप परिपक्व ना हो जाए सही गलत समझने , कौन दोस्त और कौन दुश्मन में फर्क ना समझ जाए, जिंदगी की किताब से जिंदगी ज़ीने का तरीका ना सीख जाए। पति पत्नि चीज किया होते है उसका अर्थ ना समझ जाए जब तक इस पवित्र बंधन में ना बंधे वरना अंजाम हमारी तरह होगा आप भी नादानी में वही गलती कर बैठोगे जो हमने की।



Note = मेरा मकसद शादी ना करने को बढ़ावा देना नही है मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि आज कल जो ये छोटे छोटे लड़के लड़किया खुद को बालिग कह कर सिर्फ चार दिन की मोहब्बत में पढ़ कर शादी कर रहे है जो दरअसल मोहब्बत नही सिर्फ अट्रैक्शन होता है जिनको जिंदगी की समझ भी नही होती और वो शादी के पवित्र बंधन में बंध जाते है और बाद में लड़ाई झगडे , तलाक और बच्चों की जिंदगी बर्बाद कर देते है तो वो इस कहानी से कुछ सीख ले और पढ़ने लिखने की उम्र में इन सब से दूर रहे ।खास कर लड़किया और माता पिता भी अपनी लड़कियों की कम उमरी में शादी ना करे शादी के लिए दोनों का मानसिक रूप से परिपक्व होना बेहद ज़रूरी है। तभी जिंदगी की गाड़ी हस्ते खेलते चल सकेगी  नहीं तो किसी गढ़े में गिर जाएगी  जिंदगी भर के लिए ।


जेनर = स्त्री विशेष 







Title = side effect of early marriage




जिंदगी के आज  इस आख़री  पढ़ाव में शालिनी अपनी नादानी में की गयी  गलतियों पर  बहुत  पेशेमान ( पछताना ) थी । सिर्फ वो ही नही उसके साथ  साथ  उसका जीवन  साथी  सुमेल जिसे उसने शादी  के बाद पति  से ज्यादा नौकर  समझा । आज  वो सुमेल भी  उसी के साथ  घर  के बरामदे  में पड़ी  कुर्सी पर  पास बैठा  था । उसने भी  शादी  के चंद महीनों बाद शालिनी  को अपना गुलाम समझना  शुरू  कर  दिया था  वो भी  उसकी नादानियों से तंग आ  गया  था  उसके आये  दिन बिन बताये  मायके चले  जाने की वजह  से शायद  वो सिर्फ 19 साल की थी  ये भी  एक वजह  हो सकती  थी  की वो उसे बिन बताये  अपने मायके चली  जाती थी  वो अभी  भी  खुद  को शायद  एक कुंवारी लड़की  समझती  थी  जो कही  भी  आ  जा सकती  थी  बिना किसी की इज़ाज़त  लिए  बिना।

सुमेल कुछ  सोच  ही रहा  था  कि तभी  शालिनी  बोली " हम  दोनों ने बहुत  बड़ी  गलती  की थी  जिसकी भर  पायी आज  हम  दोनों इस तरह  अपने बच्चे  के हाथो  कर  रहे  है  कि उसके माँ बाप होते हुए  भी  आज  वो हमें अपने माता पिता नही समझते  "


"सही  कहा शालू ( सुमेल, शालिनी  को प्यार से शालू  कहता  है  )तुमने, हमारी  ही नादानियों की सजा  आज  हमें ज़ीवन  के इस आख़री  मोड़ पर  मिल रही  है , काश  की हम  गुज़रा वक़्त वापस  ला सकते और सब  कुछ  सही  कर  सकते । और हम  दोनों भी  एक दूसरे  को पति  पत्नि समझते  और अपने बच्चों को माँ बाप का प्यार देते तो आज  वो भी  हमें अपने माता पिता समझते । बस  एक गलत  फैसले ने हमारी  ज़िन्दगीया तबह  कर  दी। सिर्फ और सिर्फ हमारी  नादानी की वजह  से आज  हमारे  बच्चों की ज़िन्दगीया भी  तबह  हो गयी  वो भी  बुरी संगत  में हमारी  वजह  से पड़े । "सुमेल ने रोते हुए  कहा


शालिनी  उसके आंसू  पोछते  हुए  बोली " आप  मत  रोइये ये सब  मेरी वजह  से हुआ मेरी नादानियों और दूसरों के बहकावे  में आकर  मेने अपना घर  ख़राब  किया। क्यूंकि मैं नादान थी  उस समय  जिसने जैसा कहा करती  गयी  और दूसरों की बातो में आकर  ना तो मैं एक अच्छी पत्नि बन  सकी  और ना ही एक अच्छी माँ ये सब  मेरी बेवक़ूफ़यों का नतीजा  है  जो हम  लोग इस तरह  तन्हा अपना बुढ़ापा  काट रहे  है  "


"सिर्फ तुम ही नही मेने भी  दूसरों की बातो पर  कान धरे  क्यूंकि मैं भी  उस समय  इतना परिपक्व  नही था  की सही  गलत  समझ  सकूँ " सुमेल ने कहा

"लेकिन अब किया हो सकता  है , अब तो चिड़िया  सारा खेत  चुग  गयी  अब तो सिर्फ पछतावा  ही बचा  है  " शालिनी  ने कहा

"हमारी  जिंदगी में तो कुछ  नही हो सकता  लेकिन मैं चाहता  हूँ कि अपनी जिंदगी की दास्तां किसी कॉपी में लिखू  और लोग उसे पढ़े  और वो गलती ना करे  जो हम  दोनों ने की कम उम्र में शादी  करके " सुमेल ने कहा

"ठीक  कह  रहे  है आप , मैं अभी  अंदर  से कॉपी पेन लाती हूँ मैं भी  बताना  चाहती  हूँ उन नौजवान  लड़कियों को जो चार  दिन की मोहब्बत  में पढ़  कर  कम उमरी में शादी  जैसे पवित्र बंधन  में बंद  जाती है  पर  उसे निभा  नही पाती और अपने साथ  साथ  बहुत  सारे लोगो की जिंदगी के साथ  खिलवाड़  कर  बैठती  है  अपने लड़कपन  में " शालिनी  ने कहा और अंदर चली  गयी  कॉपी और पेन लाने


थोड़ी  देर बाद वो कॉपी और पेन लाती और सुमेल के हाथ  में देते हुए  बोली " ये लीजिये कॉपी और पेन "

सुमेल ने उसकी तरफ  प्यार से देखा  और कहा " काश  की तुम इतनी प्यार और इज़्ज़त के साथ  मुझे  हमारी  जवानी  में पुकारती तो आज  हम  दोनों सुखी  होते "

"और अगर  आप  भी  शादी  के बाद मुझे  अपनी नौकरानी नही इज़्ज़त समझते  तो भी  शायद  आज  हमारी  जिंदगी कुछ  और होती " शालिनी  ने सुमेल की बात पूरी  होने से पहले  कहा

"चलो  अच्छा जो हुआ सो हुआ आओ  बैठो  मेरे पास  देर से ही सही  लेकिन हमें अक्ल आ  तो गयी  भले  ही हमारा  सब  कुछ  पीछे  छूट  गया । चलो  अब लिखते  है , लेकिन कहा से शुरू  करू  " सुमेल ने कहा

"कहा से शुरू  करेंगे , वही  से कीजिये जब  आपने  मुझे  पहली  बार कॉलेज  में देखा  था  पहली  दफा  और आप  मुझ  पर  मोहित हो गए  थे  बिना ये जाने की ये मोहब्बत नही बल्कि आपके  अंदर  होने वाले होर्मोंन्स के बदलाव  के कारण  किसी लड़की  के प्रति आपका  झुकाव  है  " शालिनी  ने कहा


"और आपका  अपने बारे में किया ख्याल  है  शालू  मैडम , आप  भी  तो मुझे  पसंद करने  लगी  थी  कुछ  दिन बाद और मेरे साथ  जीने  मरने  की कस्मे तक खाने  लगी  थी  " सुमेल ने कहा

"हाँ, तो वो मेरे अंदर  होने वाले परिवर्तन  का परिणाम  था  मैं भी  उस समय  जवान  हो रही  थी  मेरे अंदर  भी  होर्मोंन्स परिवर्तित  हो रहे  थे  और मेरा झुकाव  भी  आपकी  तरफ  हो चला  था  मात्र 19 साल की उम्र में, मेने आपके साथ  जीने  मरने  के वायदे कर  लिए  थे  और आप  उस समय  मात्र 20 साल के थे।

जिसने अभी  तक  जिंदगी का दूसरा रुख  तो देखा  ही नही था  जिसमे हर  लड़का  और लड़की  परिपकवता की और कदम  रखते  है , किताबों से नही जिंदगी के हालातो से सीखते  है  खुद  को अच्छा और बुरे में पहचान  करने  के काबिल बनाते  है ।" शालिनी  ने कहा


"चलो  लिखना  शुरू  करते  है वहा  से जब  हम  दोनों का खींचाव  एक दूसरे  की और हो चला  था  और हम  बिना जिंदगी के बारे में जाने एक दूसरे  के साथ जीने  मरने की कस्मे खा रहे  थे  बिना ये जाने की ये सब  कस्मे खाना  तो आसान  है  लेकिन इन्हे निभाना  उतना ही कठिन । और शादी  जैसे पवित्र बंधन  तक  अपने रिश्ते को ले आये  बिना ये जाने की शादी  कोइ गुड़िया गुड्डो का खेल  नही है ।

शादी  के बाद पति पत्नि को फूँक  फूँक  कर  कदम  रखना  होता है क्यूंकि शादी  के बाद घर , घर  नही तितली का पर  हो जाता है  जो जरा  सा हाथ  लगाने  पर  टूट  सकता  है ।"सुमेल ने कहा


हाँ तो शालू  तुम उन्नीस साल की थी  और मैं बीस  साल का जब हमें एक दूसरे  से मोहब्बत  हो चली  थी । आओ उस दिन से शुरू  करते  है जब  मेने अपने पिता जी से बगावत  की थी  तुमसे शादी  करने  के लिए।


"पिता जी आप  समझने  की कोशिश  कीजिये मुझे  शालू  पसंद  है  और मैं उससे शादी  करना  चाहता  हूँ " सुमेल ने अपने पिता से कहा

"बेटा अभी तुम सिर्फ बीस  साल के हो माना की तुम बालिग़ हो लेकिन शादी  एक बहुत  बड़ी  ज़िम्मेदारी है , अभी  तुम पढ़ाई  करो  बाद में शादी  कर  लेना " सुमेल के पिता ने समझाते  हुए  कहा

लेकिन सुमेल नही माना, और आखिर  में उसके माता पिता को उसकी ज़िद्द मानना पड़ी ।और वो लोग शालिनी  का हाथ  मांगने चले  गए  


शालिनी  की माँ ने उसे समझाया  बेटा अभी  तुम छोटी हो, तुम्हारी कच्ची  उम्र है  अभी  तुम्हे बहुत  कुछ  सीखना  है , तुम कहो तो मैं मना कर  देती हूँ।


शालिनी  ने अपनी माँ से मना  कर  दिया और दोनों की शादी  हो गयी ।


लेकिन जैसे सुमेल ने अपनी माँ को अपने पिता की आज्ञा कारी पत्नि बनते  देखा  था  उसी तरह  वो भी  चाहता था  की शालिनी  भी  वही  करे ।


लेकिन शालिनी  घर  की एकलौती बेटी थी  उसने कभी कोइ काम नही किया था  वो चाहती  थी  की सुमेल उसकी हर  बात माने।

इसी तरह  शादी  के कुछ  दिन बाद दोनों में लड़ाई  झगडे  होने लगे । शालिनी  बिना उसकी इज़ाज़त  लिए  अपने लड़कपन  में अपनी माँ के घर  चली  जाती थी ।


वहा  उसकी चाचीया  और उनकी बेटियां उसके कान भर्ती  और वो वैसा ही अपने ससुराल  में आकर  करती  क्यूंकि उसे इतनी समझ  नही थी  की उसकी चाची  और उनकी बेटियां उसका घर  ख़राब  कर  रही  है ।


सुमेल भी  उदास रहने  लगा  था, उसके दोस्त भी  उसके कान भरते  और कहते  तेरी बीवी तेरे कण्ट्रोल में नही है  पत्नि तो पैर की जूती होती है  और तूने  उसे सर  पर  चढ़ा  रखा  है । यही  सब  बाते सुन कर  वो शालिनी  को उसकी गुलामी करने  को कहता  और तू  तड़ाक  से बोलता।


भले  ही वो दोनों बालिग़ थे  लेकिन उनकी समझ  अभी  छोटी  थी । बात बात पर  लड़ना , खिसयाना  रूठना  यही  सब  तो होता है  20,21 की उम्र में।


लड़के  ज्यादा तर खिसयानी  बिल्ली बने  रहते  है  इस उम्र में क्यूंकि पढ़ाई  पूरी  हो चुकी  होती है  लेकिन नौकरी नही मिलती इस वजह  से।

यही  वजह  सुमेल के साथ  भी हुयी उसने भी  जब  पढ़ाई  पूरी  कर  ली लेकिन नौकरी नही मिली। जिसकी वजह  से वो उदास रहता  था । एक पत्नि का फर्ज़  मुश्किल घड़ी  में अपने पति  के साथ  खड़े  रहना  होता है  लेकिन शालिनी  जो की अपनी नादानी और लड़कपन  की वजह  से उसे मुश्किल घड़ी  में छोड़  मायके भाग  जाती थी  उससे लड़ झगड़  कर ।


लड़ाई  झगड़ा  तो उन दोनों का आम  हो चुका  था । प्यार तो ख़त्म  ही हो चुका  था  उन दोनों के बीच  दरअसल  उन दोनों को कभी  प्यार था  ही नही वो तो सिर्फ एक खींचाव  था  जो उन्हें एक दूसरे  के प्रति था  और जिसकी वजह  से वो आज  ऐसे रिश्ते में बंध गए  थे  जिसमे बंधने के लिए  दोनों का परिपक्व  होना जरूरी  था ।


कुछ  दिनों बाद सुमेल की नौकरी लग  गयी  शहर  में और वो शालिनी  को लेकर  शहर  आ  गया ।

शहर  का माहौल उन दोनों के लिए  किसी ज़हर  जैसा था  जिसने उन दोनों के रिश्ते में और ज़हर  घोल  दिया। सुमेल काम पर  चला  जाता और शालिनी  पड़ोस  में चली  जाती जहाँ शहर  के माहौल में पड़ी बली  औरते  रहती  थी ।


जिन्होंने उसके विकसित होते दिमाग़ में ना जाने किया किया ज़हर  घोला  उसके पति  के खिलाफ  और वही  सुमेल के दोस्तों ने भी  उसके कान भरे  शालिनी  के खिलाफ  " की तू  उसे बाहर  से ताला लगा  कर  आया  कर  तेरी पत्नि अभी  छोटी  है  और शहर  का माहौल अच्छा नही है  खास  कर  अकेली रहने  वाली लड़की  के लिए  तेरा तो कोइ बच्चा  भी  नही है  बेवजह  कही  तेरी पत्नि किसी और के साथ  भाग  गयी  तो तेरी कितनी बदनामी  होगी "

ये बात सुमेल के दिमाग़ में घर  कर  गयी  क्यूंकि उसे अभी  अच्छे बुरे का पता  नही था की कौन दोस्त है  और कौन दुश्मन । उसने ऐसा ही किया जब  शालिनी  ने मना  किया तो सुमेल के अंदर  शक का बीज  पनपने  लगा ।

और उसने शालिनी  को मारा और घर  में बंद  कर  दिया।


कुछ  दिन बाद शालिनी  माँ बनने  वाली थी  उसने ये खबर  अपनी उन शहरी  दोस्तों को बताई  तब  उन्होंने कहा " पागल  है , किया इतनी छोटी  उम्र में भी  कोइ माँ बनता  है  बेवजह  की सर दर्दी मोल लेगी तेरा पति  तो बाहर  किसी और के साथ  रंगरांलिया मनाएगा  और तेरे पास  बच्चा  सौप जाएगा कि तू  उसे संभालती  रहे  दिन भर  "


शालिनी  को उनकी बात सही  लगी  उसने बिन बताये  ही अपनी सहेलियों के साथ  जाकर  नादानी में अपना बच्चा  गिरवा दिया। जब  किसी तरह  ये बात सुमेल को पता  चली  तब  उसने उसे घर  से निकाल दिया पीट  कर ।


उसके बाद काफी दिनों बाद उनका सुलाह हुआ लेकिन सुमेल ने गांव में ही रहने  का फैसला किया और वही  खेती  बाड़ी करने  का।

लेकिन शालिनी  ने शर्त  रखी  की वो ससुराल  में नही रहेगी  उसे अलग  घर  चाहिए । मजबूरन उसे दूसरा  घर  दिया सुमेल ने। कुछ  दिन बाद वो दोबारा माँ बनी  और उसने एक बेटे को जन्म दिया।


वो अक्सर उसे छोड़  कर  मायके भाग  जाया करती  थी  और कभी  कभी  तो सुमेल का सारा गुस्सा उस मासूम  पर  उतार देती। घर  का कोइ भी  काम नही करती  कपडे  भी  जब  ज्यादा गंदे हो जाते तो उन्हें जला  देती लेकिन धोती  नही थी ।


और रो धोकर  सुमेल से नए  कपडे  मंगा लेती। इसी तरह  उनकी गाड़ी चलती  रही  एक आद  बार और उसने अपना एबॉर्शन  करा  लिया ताकि बच्चों की झंझट  से बची  रहे । और उसने एक ही बच्चे  को पाला वो भी  उसके साथ  सोतेलो जैसा व्यवहार करके ।


क्यूंकि उसके आ  जाने के बाद से ही उसके पेरो में बेड़िया पड़ गयी  थी  और अब वो कही  आ  जा भी  नही सकती  थी ।


सुमेल जब  भी  काम पर  से आता  शालिनी  अपने बेटे की शिकायत  उससे करती , सुमेल भी  सारा गुस्सा अपने बेटे पर  ही उतार देता और फिर  लड़  झगड़  कर  सो जाता।


इसी तरह  दिन गुज़रते  गए  उनका बेटा रोज़ उन दोनों को लड़ता झगड़ता  बड़ा होता देखता  रहा  उसे कभी  भी  माँ बाप का प्यार नही मिला सिर्फ मिली तो मार, माँ पिता का गुस्सा उस पर  निकाल देती और पिता बाहर  का गुस्सा और खिसयान उस पर  उतार देते।


और फिर  एक दिन जब  वो बड़ा  हो गया  लेकिन उसके माँ बाप ऐसे ही लड़ते  रहे  जैसा की बचपन  में लड़ते  थे । पहले  तो उसके दादा दादी ज़िंदा थे  तो वो उनके पास  चला  जाता था  लेकिन जब  से वो मरे उसने नशे  को अपना दोस्त बना  लिया।और एक दिन अपने माँ बाप को छोड़  कर  कही  दूर  चला  गया । और कभी  पीछे मुड़कर  नही देखा।


उन दोनों की नादानी में लिए  फैसले ने ना जाने कितनी जिंदगीया तबह  करदी ।


सुमेल की आँखों में आंसू  थे  जब  उसने ये सब  लिखा । शालिनी  ने उसके आंसू  साफ किए  और बोली " हम  दोनों ही कसूरवार  है  इन सब  चीज़ो  के अगर  थोड़ा  सब्र किया होता जिंदगी के हालातो को देखा  होता कच्ची  उम्र में इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी नही उठायी  होती तो आज  हम  सब  इस तरह  ना होते। "


चलो अच्छा अब अंदर  चलो  ठण्ड  होने लगी  है  बाहर  अब सिवाय पछताने  के किया हो सकता  है  जो होना था  हो गया  लेकिन मैं यही  कहूँगा  की शादी  जैसे पवित्र बंधन  में जब  तक  ना बंधे जब  तक  आप  परिपक्व  ना हो जाए सही  गलत  समझने , कौन दोस्त और कौन दुश्मन  में फर्क ना समझ  जाए, जिंदगी की किताब से जिंदगी ज़ीने का तरीका  ना सीख  जाए। पति  पत्नि चीज  किया होते है  उसका अर्थ ना समझ  जाए जब  तक  इस पवित्र बंधन  में ना बंधे  वरना  अंजाम हमारी  तरह  होगा आप  भी  नादानी में वही  गलती  कर  बैठोगे  जो हमने  की।



Note = मेरा मकसद  शादी  ना करने  को बढ़ावा  देना नही है  मैं सिर्फ इतना कहना  चाहता  हूँ कि आज  कल जो ये  छोटे  छोटे  लड़के  लड़किया खुद  को बालिग कह  कर  सिर्फ चार  दिन की मोहब्बत में पढ़ कर  शादी  कर  रहे  है  जो दरअसल  मोहब्बत  नही सिर्फ अट्रैक्शन होता है जिनको जिंदगी की समझ  भी  नही होती और वो शादी  के पवित्र बंधन में बंध  जाते है  और बाद में लड़ाई  झगडे , तलाक  और बच्चों की जिंदगी बर्बाद कर  देते है  तो वो इस कहानी  से कुछ  सीख  ले और पढ़ने  लिखने  की उम्र में इन सब  से दूर  रहे ।खास कर लड़कियां 






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7 Comments

Shnaya

02-Jun-2022 04:47 PM

👏👌

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Seema Priyadarshini sahay

24-May-2022 09:02 PM

बेहतरीन👌👌👌👌

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Neelam josi

24-May-2022 04:56 PM

👏👌🙏🏻

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